“उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में युवाओं के लिए नए स्किल हब्स शुरू किए, जो डिजिटल, ग्रीन और इंडस्ट्री 4.0 स्किल्स पर फोकस करेंगे। ये सेंटर्स लाखों युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करेंगे, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। पीएमकेवी 4.0 और इंडस्ट्री पार्टनरशिप के साथ, ये हब्स यूपी को स्किल कैपिटल बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश में युवाओं के लिए नए स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए नए यूथ स्किल हब्स की शुरुआत की है। ये हब्स, स्किल इंडिया मिशन के तहत, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि युवाओं को इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स प्रदान किए जा सकें। इन सेंटर्स का उद्देश्य डिजिटल लिटरेसी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, ग्रीन जॉब्स और सॉफ्ट स्किल्स जैसे कम्युनिकेशन और प्रॉब्लम-सॉल्विंग में प्रशिक्षण देना है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 4.0) के तहत, ये हब्स 15-59 आयु वर्ग के युवाओं को टारगेट कर रहे हैं। हाल के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 2023-24 में PMKVY के तहत 21 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन किया, जिसमें से 60% से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों से थे। नए हब्स में 600 से ज्यादा ट्रेनी और ट्रेनर हैंडबुक्स को आठ क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित किया गया है, जिससे प्रशिक्षण अधिक समावेशी और प्रभावी हो।
लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर जैसे प्रमुख शहरों के अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल स्किल ट्रेनिंग यूनिट्स और विलेज-लेवल स्किल हब्स स्थापित किए जा रहे हैं। ये यूनिट्स स्थानीय जरूरतों के अनुसार कोर्स डिजाइन कर रही हैं, जैसे कि ऑर्गेनिक फार्मिंग, प्रिसिजन एग्रीकल्चर और हैंडीक्राफ्ट्स, ताकि युवा स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें। उदाहरण के लिए, गोरखपुर में एक नया सेंटर हैंडीक्राफ्ट्स और टेक्सटाइल स्किल्स पर फोकस कर रहा है, जो स्थानीय बुनकर समुदायों को सपोर्ट करता है।
इंडस्ट्री पार्टनरशिप इस पहल का मुख्य आधार है। 36 सेक्टर स्किल काउंसिल्स (SSCs) के साथ सहयोग से, कोर्सेज को इंडस्ट्री 4.0 की जरूरतों के अनुसार डिजाइन किया गया है। टेक कंपनियों जैसे NASSCOM और मैन्युफैक्चरिंग फर्म्स ने कोर्स मॉड्यूल्स तैयार करने में योगदान दिया है, जिसमें कोडिंग, IoT और 3D प्रिंटिंग शामिल हैं। इसके अलावा, रिक्रूट-ट्रेन-डिप्लॉय (RTD) मॉडल के तहत, युवाओं को ट्रेनिंग के बाद सीधे जॉब प्लेसमेंट्स दिए जा रहे हैं।
यूपी सरकार ने इन हब्स के लिए ₹500 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जिसमें से 25% ग्रामीण क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए है। जन शिक्षण संस्थान (JSS) स्कीम के तहत, महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कम लागत पर डोरस्टेप ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जा रही है। ये प्रोग्राम्स न केवल रोजगार के अवसर बढ़ा रहे हैं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण, जैसे हेल्थ, हाइजीन और फाइनेंशियल लिटरेसी, को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
हालांकि, चुनौतियां भी मौजूद हैं। 2024 में ग्रेजुएट स्किल इंडेक्स के अनुसार, भारत में युवाओं की रोजगार क्षमता 42.6% तक गिर गई है, जो दर्शाता है कि स्किल गैप अभी भी एक बड़ी समस्या है। विशेषज्ञों का कहना है कि शॉर्ट-टर्म कोर्सेज पर अत्यधिक निर्भरता और क्वालिटी ट्रेनिंग की कमी इसकी वजह है। यूपी के नए स्किल हब्स इस दिशा में सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम और जियो-टैगिंग जैसे उपाय शामिल हैं, ताकि ट्रेनिंग की गुणवत्ता सुनिश्चित हो।
नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) के साथ मिलकर, यूपी सरकार ने अगले पांच वर्षों में 50 लाख युवाओं को ट्रेन करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए, IITs, NITs और जवाहर नवोदय विद्यालयों जैसे प्रीमियर संस्थानों में स्किल हब्स स्थापित किए गए हैं। इन सेंटर्स में अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम्स को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें ट्रेनीज को स्टाइपेंड के साथ ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग दी जाती है।
युवाओं के लिए ये स्किल हब्स न केवल तकनीकी स्किल्स प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उद्यमिता को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, वाराणसी में एक स्किल हब ने 200 से अधिक युवाओं को स्टार्टअप्स शुरू करने के लिए ट्रेनिंग और मेंटरशिप प्रदान की है। ये पहल यूपी के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और भारत को ग्लोबल स्किल कैपिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सरकारी स्रोतों, NSDC डेटा, और हाल की न्यूज रिपोर्ट्स पर आधारित है। जानकारी को यथासंभव सटीक रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों से नवीनतम अपडेट्स की पुष्टि करें।