यूपी सरकार ने ‘स्पोर्ट्स फॉर ऑल’ पहल शुरू की है, जिसके तहत 2025 तक हर गाँव में कम्युनिटी प्लेग्राउंड बनाए जाएंगे। यह योजना युवाओं में खेलों को बढ़ावा देने, स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहन और सामुदायिक एकता को मजबूत करने पर केंद्रित है। इन प्लेग्राउंड्स में फुटबॉल, क्रिकेट, और कबड्डी जैसे खेलों की सुविधाएँ होंगी।
यूपी में खेलों की नई क्रांति: कम्युनिटी प्लेग्राउंड्स का सपना
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘स्पोर्ट्स फॉर ऑल’। इस पहल का उद्देश्य राज्य के हर गाँव और कस्बे में कम्युनिटी प्लेग्राउंड्स का निर्माण करना है, ताकि ग्रामीण और शहरी युवाओं को खेलों के लिए बेहतर अवसर मिलें। यह योजना न केवल खेलों को बढ़ावा देगी, बल्कि सामुदायिक एकता और स्वस्थ जीवनशैली को भी प्रोत्साहित करेगी।
हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, यूपी के खेल मंत्री ने घोषणा की कि 2025 के अंत तक 10,000 से अधिक प्लेग्राउंड्स का निर्माण शुरू हो जाएगा। इनमें से 60% ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे, जहाँ खेल सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या रही है। प्रत्येक प्लेग्राउंड में क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, और कबड्डी जैसे लोकप्रिय खेलों के लिए बुनियादी ढांचा होगा। इसके अलावा, कुछ चुनिंदा स्थानों पर बैडमिंटन कोर्ट और जिम उपकरण भी उपलब्ध होंगे।
यूपी सरकार ने इस परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसमें केंद्र सरकार की खेलो इंडिया योजना और निजी क्षेत्र की भागीदारी शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में MGNREGS फंड का उपयोग भी किया जाएगा, जैसा कि केरल की ‘वन पंचायत, वन प्लेग्राउंड’ पहल में देखा गया है। यह न केवल खेल सुविधाओं को बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय रोजगार को भी प्रोत्साहन देगा।
खेल विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल यूपी के युवाओं में खेलों के प्रति रुचि को बढ़ाएगी और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करेगी। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 43.6% हिस्पैनिक बच्चे मोटापे से प्रभावित हैं, और यूपी में भी यह समस्या बढ़ रही है। कम्युनिटी प्लेग्राउंड्स बच्चों और युवाओं को सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करेंगे।
इसके अलावा, यह योजना समावेशी खेलों पर भी ध्यान दे रही है। प्लेग्राउंड्स को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाया जाएगा, जिसमें व्हीलचेयर के लिए रैंप और विशेष उपकरण शामिल होंगे। लड़कियों के लिए खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कोचिंग सत्र और टूर्नामेंट्स की योजना भी है, क्योंकि एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि खेलों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की भागीदारी कम है।
लखनऊ, वाराणसी, और कानपुर जैसे शहरों में पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू हो चुके हैं, जहाँ स्थानीय समुदायों ने उत्साह दिखाया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये प्लेग्राउंड्स न केवल खेल के मैदान होंगे, बल्कि सामुदायिक आयोजनों और सामाजिक एकता के केंद्र भी बनेंगे। उदाहरण के लिए, वाराणसी के एक गाँव में बनाए गए प्लेग्राउंड में हर हफ्ते कबड्डी टूर्नामेंट आयोजित हो रहे हैं, जिसमें आसपास के गाँवों के लोग भी हिस्सा ले रहे हैं।
हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लेग्राउंड्स की देखभाल और रखरखाव एक बड़ी समस्या हो सकती है। पहले भी कई खेल सुविधाएँ रखरखाव के अभाव में खराब हो चुकी हैं। इसके लिए सरकार ने स्थानीय पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों को जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनाई है। साथ ही, वंडलिज्म और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि ये स्थान सभी के लिए सुरक्षित रहें।
यूपी की यह पहल न केवल खेलों को बढ़ावा देगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देगी। स्थानीय निवासियों का मानना है कि ये प्लेग्राउंड्स नई पीढ़ी को न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाएंगे, बल्कि नेतृत्व, टीमवर्क, और सामुदायिक भावना जैसे मूल्यों को भी बढ़ावा देंगे।
Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, सरकारी घोषणाओं, और उपलब्ध अध्ययनों पर आधारित है। जानकारी को विश्वसनीय स्रोतों से लिया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक सरकारी वेबसाइट्स पर नवीनतम अपडेट्स की जाँच करें।