“उत्तर प्रदेश सरकार ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए निर्माताओं को नई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इनमें टैक्स छूट, सब्सिडी, और इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट शामिल हैं। 2025 में सेमीकंडक्टर, ऑटोमोटिव, और ग्रीन टेक्नोलॉजी सेक्टर पर विशेष ध्यान है। ये योजनाएं रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को गति देंगी।”
उत्तर प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान: 2025 की प्रोत्साहन योजनाएं
उत्तर प्रदेश सरकार ने मेक इन इंडिया पहल के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए 2025 में कई आकर्षक प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। ये योजनाएं सेमीकंडक्टर, ऑटोमोटिव, और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। सरकार का लक्ष्य यूपी को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बल मिले।
टैक्स छूट और सब्सिडी
यूपी सरकार ने निर्माताओं के लिए कई टैक्स छूट की घोषणा की है। इनमें इनकम टैक्स में पांच साल तक की छूट और जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट शामिल हैं। नई फैक्ट्रियों के लिए कस्टम ड्यूटी में कमी और निर्यात-उन्मुख इकाइयों के लिए ड्यूटी ड्रॉबैक जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माताओं के लिए विशेष सब्सिडी पैकेज लॉन्च किए गए हैं, जिसमें पूंजीगत निवेश पर 25% तक की सब्सिडी शामिल है।
इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट
मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने औद्योगिक पार्कों और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन्स (SEZs) के विकास पर जोर दिया है। इन क्षेत्रों में निर्माताओं को रियायती दरों पर ज़मीन, बिजली, और पानी जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में नए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं, जो लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएंगे। सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन स्कीम के तहत 5000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है।
सेमीकंडक्टर और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर फोकस
2025 में यूपी सरकार ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता दी है। वैश्विक चिप की कमी को देखते हुए, सरकार ने इस सेक्टर में निवेश के लिए विशेष प्रोत्साहन की घोषणा की है। उदाहरण के लिए, 1000 एकड़ मुफ्त ज़मीन और 25% निवेश क्रेडिट जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा, सोलर और विंड एनर्जी उपकरणों के उत्पादन के लिए टैक्स क्रेडिट और ग्रांट्स की पेशकश की जा रही है, ताकि ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिले।
रोजगार सृजन और स्किल डेवलपमेंट
इन योजनाओं का एक प्रमुख उद्देश्य रोजगार सृजन है। सरकार ने जॉब क्रिएशन टैक्स क्रेडिट की शुरुआत की है, जिसमें प्रत्येक नई नौकरी के लिए निर्माताओं को टैक्स में छूट दी जाएगी। साथ ही, स्किल डेवलपमेंट के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और अप्रेंटिसशिप योजनाएं शुरू की गई हैं। यूपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अगले पांच साल में 10 लाख से अधिक नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
निर्यात और प्रतिस्पर्धात्मकता
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने मैन्युफैक्चरर्स को ड्यूटी ड्रॉबैक और एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम जैसी सुविधाएं दी हैं। ये प्रोत्साहन भारतीय निर्माताओं को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेंगे। खास तौर पर ऑटोमोटिव सेक्टर में, लोकल कंपोनेंट्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 30% लोकल कंटेंट की आवश्यकता को अनिवार्य करने की योजना है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि ये योजनाएं आकर्षक हैं, लेकिन निर्माताओं को जागरूकता की कमी और बदलते नियमों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम लागू किया है, जिससे लाइसेंस और अप्रूवल की प्रक्रिया आसान हो गई है। साथ ही, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार की हालिया घोषणाओं, मेक इन इंडिया पहल, और उपलब्ध वेब संसाधनों पर आधारित है। जानकारी की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल्स की जांच करें।