“उत्तर प्रदेश सरकार की फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 22 लाख नौकरियां सृजित करना है। यह नीति आगरा, कानपुर और उन्नाव जैसे शहरों को वैश्विक फुटवियर हब बनाने पर केंद्रित है, जिसमें विशेष प्रोत्साहन, कर छूट और प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना शामिल है।”
यूपी की फुटवियर नीति से 22 लाख नौकरियों का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य को वैश्विक फुटवियर और लेदर उद्योग का केंद्र बनाना है। इस नीति के तहत अगले पांच वर्षों में 22 लाख नौकरियां सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें महिलाओं और दिव्यांगजनों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। यह नीति आगरा, कानपुर और उन्नाव जैसे शहरों पर विशेष ध्यान देती है, जो पहले से ही भारत के फुटवियर और लेदर उद्योग में अहम भूमिका निभाते हैं।
नीति के तहत सरकार ने कई आकर्षक प्रोत्साहन की घोषणा की है। नए और मौजूदा व्यवसायों को समर्थन देने के लिए 100% स्टैंप ड्यूटी छूट, पांच वर्षों तक कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की प्रतिपूर्ति, और तकनीकी पाठ्यक्रमों पर 30% सब्सिडी जैसे लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, बिजली शुल्क पर प्रति यूनिट ₹2 की सब्सिडी, अधिकतम ₹60 लाख तक, और परिवहन व लॉजिस्टिक्स पर 75% सब्सिडी, अधिकतम ₹10 करोड़ तक, प्रदान की जाएगी। अनुसंधान और विकास के लिए पेटेंट और कॉपीराइट खर्चों पर ₹1 करोड़ की सहायता भी दी जाएगी।
आगरा, जिसे भारत की ‘फुटवियर राजधानी’ के रूप में जाना जाता है, और कानपुर व उन्नाव, जहां 200 से अधिक सक्रिय टैनरियां हैं, इस नीति के केंद्र में हैं। सरकार इन क्षेत्रों में मेगा लेदर पार्क स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसमें प्लग-एंड-प्ले सुविधाएं, वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट और आधुनिक बुनियादी ढांचा उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, बुदेलखंड और पूर्वांचल जैसे कम विकसित क्षेत्रों में संचालन शुरू करने वाली इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू नॉन-लेदर फुटवियर क्षेत्र को बढ़ावा देना है, जिसकी वैश्विक मांग, विशेष रूप से सिंथेटिक और पर्यावरण-अनुकूल फुटवियर के लिए, तेजी से बढ़ रही है। बकल्स, सोल, जिप, इनसोल, धागे और डाई जैसे सहायक घटकों के उत्पादन इकाइयों को भी विशेष समर्थन दिया जाएगा। साथ ही, सिलाई, मोल्डिंग और कटिंग जैसे उत्पादन प्रक्रियाओं के लिए विशेष मशीनरी निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नीति की समीक्षा के दौरान क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि उत्पादन, डिजाइन, अनुसंधान और प्रशिक्षण को एक मंच पर एकीकृत करने से बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित होगा और लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके लिए प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष फुटवियर प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जाएगी, जो शीर्ष डिजाइन और प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे।
नीति में निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान हैं। 50 एकड़ से अधिक भूमि पर लेदर पार्क या क्लस्टर स्थापित करने के लिए 25% पूंजीगत सब्सिडी और स्टैंप ड्यूटी में 100% छूट दी जाएगी। निर्यात-उन्मुख इकाइयों के लिए भाड़ा सब्सिडी और बंदरगाहों के पास वेयरहाउसिंग सुविधाओं का विकास भी इस नीति का हिस्सा है।
2023-24 में भारत से फुटवियर और लेदर क्षेत्र का कुल निर्यात $4.7 बिलियन था, जिसमें अमेरिका, जर्मनी, यूके और इटली जैसे देश प्रमुख बाजार थे। अगले चार वर्षों में यह निर्यात $8 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश, जिसका लेदर बाजार ₹350 करोड़ का है, इस नीति के माध्यम से अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
डिस्क्लेमर: यह लेख उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक घोषणाओं, समाचार रिपोर्टों और उद्योग डेटा पर आधारित है। जानकारी सटीकता के लिए सत्यापित की गई है, लेकिन पाठकों को नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करने की सलाह दी जाती है।
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