“उत्तर प्रदेश सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए ₹500 करोड़ की योजनाओं की घोषणा की है, जिससे छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता, डिजिटल उपकरण और बुनियादी ढांचा मिलेगा। यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था को $1 ट्रिलियन तक ले जाने और लाखों नौकरियों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। यूपी के 90 लाख एमएसएमई को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की रणनीति।”
उत्तर प्रदेश में छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने की नई पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए ₹500 करोड़ की योजनाओं का ऐलान किया है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देने का वादा करता है। यह पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य का हिस्सा है। यूपी, जो देश में सबसे अधिक 90 लाख एमएसएमई इकाइयों का घर है, इस क्षेत्र को औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन का इंजन बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
वित्तीय सहायता और सब्सिडी
यूपी सरकार ने एमएसएमई के लिए कई वित्तीय योजनाएं शुरू की हैं। इनमें कैपिटल सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी और कोलैटरल-मुक्त ऋण शामिल हैं। उदाहरण के लिए, माइक्रो इकाइयों को 50% ब्याज सब्सिडी पांच साल तक मिलेगी, जबकि SC/ST और महिला उद्यमियों के लिए यह 60% तक होगी, जिसकी अधिकतम सीमा ₹25 लाख प्रति इकाई है। इसके अलावा, क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) के तहत ऋण गारंटी कवर को ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ किया गया है, जिससे अगले पांच साल में ₹1.5 लाख करोड़ अतिरिक्त क्रेडिट उपलब्ध होगा।
डिजिटल और बुनियादी ढांचे का विकास
यूपी सरकार 155 औद्योगिक क्लस्टर को एक समर्पित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ने की योजना बना रही है, जिसे यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPSIDA) विकसित कर रही है। यह प्लेटफॉर्म 50,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयों को लाभ पहुंचाएगा, जिससे कच्चे माल की आपूर्ति, विनिर्माण और तैयार माल की बिक्री में पारदर्शिता और लागत में कमी आएगी। अनुमान है कि यह पहल लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग लागत में ₹20,000 करोड़ की बचत करेगी। इसके अलावा, 11 जिलों में 15 नए एमएसएमई-केंद्रित औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें अलीगढ़, फिरोजाबाद, कानपुर देहात और प्रयागराज शामिल हैं।
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) की भूमिका
यूपी का फ्लैगशिप प्रोग्राम ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह योजना 75 जिलों के विशिष्ट उत्पादों, जैसे बनारस की सिल्क साड़ी, लखनऊ की चिकनकारी और कालानमक चावल, को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने पर केंद्रित है। ODOP के तहत मार्केटिंग सपोर्ट, कॉमन फैसिलिटी सेंटर और ब्रांड बिल्डिंग की सुविधाएं दी जा रही हैं, जिससे स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को नई पहचान मिल रही है।
निर्यात और रोजगार में वृद्धि
यूपी के एमएसएमई देश के 40% निर्यात में योगदान देते हैं, और सरकार ने अगले दो-तीन वर्षों में ₹3 ट्रिलियन से अधिक के एमएसएमई निर्यात का लक्ष्य रखा है। 2024-25 में एमएसएमई के लिए क्रेडिट पोटेंशियल ₹2,91,690.72 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 175.82% की वृद्धि दर्शाता है। यह सेक्टर 1.4 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, जिससे क्षेत्रीय असमानताएं कम हो रही हैं।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि, एमएसएमई सेक्टर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कच्चे माल की कमी, सीमित संस्थागत क्रेडिट, पुरानी तकनीक और मध्यस्थों का शोषण। सरकार इन समस्याओं को हल करने के लिए डिजिटल पोर्टल, स्किल ट्रेनिंग और मार्केट एक्सेस प्रोग्राम शुरू कर रही है। उदाहरण के लिए, मल्टी-लिंगुअल डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्रामीण उद्यमियों को हिंदी और अंग्रेजी में बिजनेस आइडिया, मार्केट ट्रेंड और फाइनेंसिंग विकल्प प्रदान कर रहा है।
महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष ध्यान
महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गई हैं। SAMARTH पहल के तहत 7500 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को स्किल डेवलपमेंट और मार्केट सपोर्ट दिया जा रहा है। साथ ही, यूपी चीफ मिनिस्टर यूथ सेल्फ एम्प्लॉयमेंट स्कीम 2020 के तहत युवा उद्यमियों को ₹25 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।
Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, सरकारी रिपोर्टों और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। जानकारी को सटीक और ताजा रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम नीतियों और योजनाओं के लिए आधिकारिक सरकारी पोर्टल्स की जांच करें।
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