यूपी की चमड़ा इंडस्ट्री: 2030 तक ग्लोबल मार्केट में बड़ा धमाका!

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“उत्तर प्रदेश की चमड़ा इंडस्ट्री 2030 तक 47 बिलियन डॉलर के टारगेट की ओर बढ़ रही है। कानपुर के मेगा लेदर क्लस्टर और नए सरकारी नीतियों के दम पर यूपी ग्लोबल मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। निर्यात में 33% की वृद्धि और टिकाऊ तकनीकों के साथ, यह इंडस्ट्री रोजगार और अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।”

उत्तर प्रदेश की चमड़ा क्रांति: ग्लोबल मार्केट में नई उड़ान

उत्तर प्रदेश (UP) की चमड़ा इंडस्ट्री भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभर रही है। हाल के वर्षों में, यूपी ने अपनी चमड़ा इंडस्ट्री को ग्लोबल मार्केट में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विशेष रूप से कानपुर, आगरा, और सहारनपुर जैसे शहर चमड़ा और फुटवेयर उत्पादन के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। 2024-25 में चमड़ा और चमड़ा उत्पादों के निर्यात में 33% की वृद्धि दर्ज की गई, जो अप्रैल-अगस्त 2022 में 2.38 बिलियन डॉलर थी। यह आंकड़ा इंडस्ट्री की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानपुर के रमईपुर में मेगा लेदर क्लस्टर इस क्षेत्र को और मजबूती देगा। यह क्लस्टर टिकाऊ उत्पादन और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यूपी की चमड़ा इंडस्ट्री को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

निर्यात में उछाल और सरकारी समर्थन

2024-25 के पहले छह महीनों में, यूपी ने चमड़ा और फुटवेयर निर्यात में 2.45 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। भारत सरकार की Indian Footwear and Leather Development Programme (IFLDP) के तहत 1,700 करोड़ रुपये का निवेश इस क्षेत्र को और बढ़ावा दे रहा है। यह योजना टैनिंग, फुटवेयर, और चमड़ा उत्पादों के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और निर्यात को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।

यूपी सरकार ने भी हाल ही में Leather & Footwear Policy लागू की है, जिसके तहत पूंजी सब्सिडी, बुनियादी ढांचे में सुधार, और निर्यात सहायता जैसे प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। यह नीति 22 लाख रोजगार सृजन का लक्ष्य रखती है, जिससे यूपी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।

ग्लोबल मार्केट में यूपी की स्थिति

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फुटवेयर उत्पादक और उपभोक्ता है, और यूपी इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत 13% वैश्विक चमड़ा उत्पादन में हिस्सेदारी रखता है, जिसमें यूपी का योगदान उल्लेखनीय है। प्रमुख निर्यात बाजारों में USA (17.52%), जर्मनी (13.08%), और UK (8.88%) शामिल हैं। हाल के वर्षों में, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका (MEA) जैसे नए बाजारों में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है, विशेष रूप से UAE और सऊदी अरब में।

कानपुर का चमड़ा क्लस्टर, जो पहले प्रदूषण के लिए कुख्यात था, अब टिकाऊ तकनीकों को अपनाने की दिशा में काम कर रहा है। CSIR द्वारा विकसित “Waterless Chrome Tanning Technology” ने क्रोमियम प्रदूषण को कम करने में मदद की है। इसके अलावा, vegan leather और plant-based leather जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की मांग बढ़ रही है, जिसे यूपी की कंपनियां जैसे Phool और Waraq पूरा कर रही हैं।

चुनौतियां और भविष्य की रणनीति

हालांकि यूपी की चमड़ा इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक व्यापार तनाव और reciprocal tariffs ने निर्यात ऑर्डर में कमी और कीमतों पर दबाव डाला है। इसके बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी की लागत-प्रतिस्पर्धी श्रम शक्ति और कुशल कारीगर इसे ग्लोबल मार्केट में एक मजबूत दावेदार बनाते हैं।

उद्योग विशेषज्ञ पुरन दावर, जो Agra Footwear Manufacturers and Exporters Chamber (AFMEC) के अध्यक्ष हैं, का कहना है कि सरकार को तत्काल नीतिगत उपाय करने चाहिए, जैसे कि duty drawbacks और PLI स्कीम्स को बढ़ाना। साथ ही, घरेलू मांग में वृद्धि, खासकर मध्यम वर्ग की बढ़ती खरीद शक्ति, इस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा अवसर है। प्रति व्यक्ति फुटवेयर खपत 1.7 से बढ़कर 3-4 जोड़ी तक पहुंचने की उम्मीद है।

टिकाऊ भविष्य की ओर

यूपी की चमड़ा इंडस्ट्री अब केवल पारंपरिक चमड़ा उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह vegan leather, sugarcane leather, और areca palm leather जैसे नवाचारों को अपना रही है। उदाहरण के लिए, P A Footwear ने National Institute for Interdisciplinary Science and Technology (NIIST) के साथ मिलकर PETA-अप्रूव्ड sugarcane leather से बने इको-बेल्ट्स लॉन्च किए हैं।

2030 तक, यूपी की चमड़ा इंडस्ट्री न केवल निर्यात में 13.7 बिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक कल्याण में भी अग्रणी बनना चाहती है। कानपुर और आगरा जैसे शहरों में नए टेक्नोलॉजी हब और ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जो इस इंडस्ट्री को और अधिक नवाचार और रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे।

Disclaimer: यह लेख हाल के समाचारों, उद्योग रिपोर्ट्स, और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है। डेटा और आंकड़े विश्वसनीय स्रोतों से लिए गए हैं, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करें।

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