गोवा की हरित क्रांति: 2025 में हरित गोवा स्कीम की बड़ी शुरुआत!

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“गोवा सरकार ने 2025 में हरित गोवा स्कीम लॉन्च की, जिसका लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण, वन क्षेत्र वृद्धि और सतत विकास है। यह योजना स्थानीय प्रजातियों के वृक्षारोपण, जल संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देगी। गोवा के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”

गोवा का पर्यावरण मिशन: हरित गोवा स्कीम 2025 की शुरुआत

गोवा सरकार ने 1 जुलाई 2025 को विश्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए हरित गोवा स्कीम की शुरुआत की। यह योजना गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम है, जिसका उद्देश्य वन क्षेत्र में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन से निपटना और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

इस स्कीम के तहत, गोवा सरकार ने स्थानीय प्रजातियों के वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान दिया है। गोवा के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे मैंग्रोव वन और तटीय क्षेत्रों, को पुनर्जनन और संरक्षण के लिए प्राथमिकता दी गई है। 2023 की स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, गोवा का वन क्षेत्र 1.55 वर्ग किलोमीटर घटकर 2,265.72 वर्ग किलोमीटर रह गया है, जो राज्य के कुल भू-भाग का 61.2% है। इस कमी को देखते हुए, हरित गोवा स्कीम का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में वन क्षेत्र को 65% तक बढ़ाना है।

स्कीम के तहत, गोवा सरकार ने 2025-26 तक 10 लाख स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। इनमें नारियल, बांस, और मैंग्रोव जैसे पेड़ शामिल हैं, जो कार्बन अवशोषण में प्रभावी हैं और मिट्टी के कटाव को रोकते हैं। इसके अलावा, जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन और तालाबों का पुनर्जनन भी योजना का हिस्सा है। गोवा के पर्यटन क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, यह स्कीम पर्यटकों को पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल करने की योजना भी बना रही है।

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हरित गोवा स्कीम राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM) के साथ समन्वय में काम करेगी, जो राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) का हिस्सा है। GIM के तहत, अरावली, पश्चिमी घाट और हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में माइक्रो-ईकोसिस्टम आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है, और गोवा भी इस मॉडल को अपनाएगा। स्थानीय समुदायों को वृक्षारोपण और संरक्षण गतिविधियों में शामिल किया जाएगा, जिससे उनकी आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।

गोवा के पर्यावरण मंत्री ने लॉन्च के दौरान कहा, “हमारा लक्ष्य गोवा को भारत का सबसे हरा-भरा और पर्यावरण के प्रति जागरूक राज्य बनाना है। यह स्कीम न केवल प्रकृति को बचाएगी, बल्कि गोवा की पर्यटन पहचान को और मजबूत करेगी।” स्कीम के तहत, शहरी क्षेत्रों में ऑक्सी वन और थीम-आधारित उद्यान भी विकसित किए जाएंगे, जो गोवा के शहरों को “हरित फेफड़े” प्रदान करेंगे।

हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अवैध खनन, वनों की कटाई और मानव-वन्यजीव संघर्ष गोवा के पर्यावरण के लिए खतरा बने हुए हैं। स्कीम के तहत इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सख्त निगरानी और कानूनी उपायों को लागू किया जाएगा। गोवा सरकार वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और गोवा वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1984 का पालन सुनिश्चित करेगी।

हरित गोवा स्कीम के तहत, स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाएं और जागरूकता अभियान भी शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा, गोवा के मछुआरे समुद audition

Disclaimer: यह लेख नवीनतम समाचारों, आधिकारिक रिपोर्टों और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। डेटा और तथ्यों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया गया है।

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